Friday, August 15, 2008

कि पैसा बोलता है

एक नई बहस ने जन्म ले लिया है आजकल, पैसे वाले लोग दुबई, सिंगापूर, ब्रिटेन और अमेरिका में घर खरीदने में लगे हैं। नए लड़के जो पढ़ाई के लिए विदेश जा रहे हैं वे भी किराये में रहने कि बजाये अपना घर ही खरीद लेते हैं। प्रोपर्टी डीलर कहते हैं कि हर महीने कम से कम १०० लोग विदेशों में घर खरीदने के लिए पूछताछ कर रहे हैं। वाकई बड़ा समृद्ध हो गया है हमारा देश!
पर समृधि की इस चकाचौंध में नहीं बदली उन लाखों लोगों की किस्मत जो आज भी लालकिले के पीछे पटरी पर सोते हैं और कई कई रात बिना खाना खाए सो जाते हैं। एक घर खरीदने के लिए लाखों रूपये कमीशन दे देने वाले लोग इनके बारे में एक बार भी नहीं सोचते। यहाँ की हालत तो फिर भी ठीक है, पर गाँव का हाल अब भी पुराने ज़माने जैसा ही ही। वहां अब भी बहुत कुछ नहीं बदला। लोग अब भी हात जाते हैं, ५० पैसे, १ रूपये के लिए घंटों चिक चिक बाजी करते हैं और किसी दिन अगर दिहाडी पूरी कर ली तो पर्व त्यौहार मानते हैं।
यही फील गुड है!
जी हाँ यही फील गुड है। कोई विदेश में घर खरीदकर फील गुड कर रहा है, तो कोई देश में ही मंहगी गाडिया खरीदकर फील गुड कर रहा है। कुछ लोग मंहगे होटलों में खाना खाकर, तो कुछ डांस बार में पैसे लुटाकर फील गुड कर रहे हैं। पर एक बात है किसी का किसी से कोई सरोकार नहीं। बीबी बच्चों के साथ पाँच सितारा होटल से खाना खाकर लौट रहे लोग भिखारी के हाथ में एक रूपये डालना भी पाप समझते हैं। जी यही है फील गुड।
फिर चुनाव की तैयारी!
अब सारे भिखारियों और दिहाडी मजदूरों के दिन फिरनेवाले हैं क्योंकि चुनाव आ रहे हैं। अब उन्हें खूब कम मिलेगा और पूरी दिहाडी साथ में खाना पीना भी। चलो लोकतंत्र के महापर्व पर कुछ लोगों का तो भला हो ही जाएगा।
जय हो लोकतंत्र की, भारतीय गणतंत्र की

No comments: