हर कोई राजनीति को और राजनेताओं को गाली देने में लगा रहता है, यह कोई नहीं सोचता कि अपराधियों को वोट देकर जिताया तो हमने ही है। आज ज़ब वे गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार पर उतारू हैं तो हम उसे गाली देते हैं। यूपीऐ सरकार को बचने कि खातिर जो सौदेबाजी चल रही है और जिसका आज आखिरी दिन है उसके लिए जिम्मेदार भी तो हमीं हैं। अगर सरकार को बहुमत मिला होता तो आर्थिक सुधारों को गति मिली होती और विकाश बाधित नहीं होता। आख़िर जब सरकार बचेगी ही नहीं तो सुधार और विकाश कि बात ही बेमानी साबित हो जायेगी ना। इसे कोई नहीं समझता।
हमें बहार खड़े होकर गाली देने कि बजाय राजनीति में हिस्सा नहीं लेना चाहिए। ज़रा विचार करें आपलोग?
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