एक मशहूर कहावत है
जिंदगी की राह में हर राज़ हम न जाने कितने दुश्मन तैयार कर लेते हैं। जाने या अनजाने कई बार ऐसा होता है कि हम न चाह कर भी किसी को नाराज़ कर जाते हैं और कुछ लोगों को दुखी। ज़ब कभी हम ऐसे दुश्मन तैयार करें जो बदला लेने की ताक में हो और आपसे जीत नहीं पाएं तो हमें उसे माफ़ कर देना चाहिए। एक बार नहीं, दो बार नहीं बार-बार माफ़ करें, लेकिन यह ध्यान रखें कि आपको उसका नाम याद रहे।
हर बात की एक सीमा है और उससे पार होने पर हर किसी को गुस्सा आता है। गुस्से को बाहर निकलने का प्रयत्न होना चाहिए, लेकिन ध्यान रखें कि उससे किसी का जाती नुकसान न हो। ना आपका, ना आपके किसी परिचित का ना ही आपके दुश्मन का। क्योंकि कोई भी नुकसान आखिरकार देश का नुकसान होता है और हमें अंततः देश के बारे में सोचना चाहिए। अगर हम नहीं तो कौन.
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2 comments:
congrats amit.
It is a good effort by you. keep it continue always as it will give you confidence a lot.
thanks
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