Tuesday, August 26, 2008
फ़िर मौका मिला उप्द्रविओं को
हाल में हुए दंगों के बाद अब उडीसा में फ़िर आगज़नी शुरू हो गयी और वहशियों ने एक महिला को जिंदा ज़ला दिया। पता नहीं उनका उद्देश्य क्या था पर ऐसी घटनाएं मानवता को शर्मसार करती हैं। मेरी मुलाकात एक बार एक उड़िया से हुई, वह बीजेपी और विहिप का पक्का भक्त था , इसमें कोई बुराई नहीं , पर पागलपन की इन्तहां बुरी बात है। आप किसी पार्टी का समर्थन करें, पर किसी महिला को जिंदा ज़ला देना कहाँ की भलमनसाहत है? लोग मरने मारने पर उतारू क्यों हो जाते हैं, समझ में नहीं आता। सच में यह विकृत मानसिकता है और कोई भी पार्टी इसे सही ठहरती है तो उसे भारत में राजनीति करने का अधिकार नहीं है। उस पार्टी का या विचारधारा का सामूहिक वहिष्कार होना चाहिए।
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1 comment:
sahi kaha amit bhai aise logo ko rajneeti se bahishkrit kar diya jana chahiye.
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