बहुत कुछ है दिल में जो आसानी से नहीं कही जा सकती और सुननेवाला भी उसे सुनकर आरामदेह महसूस नहीं करता। पर बहुत सी बातें हैं जो जरूर कही जानी चाहिए।
एक प्रयास होता है ख़ुद को अपग्रेड करने का, एक साथ वाले लोगों को लेकर चलने का और एक दुनिया को राह दिखने का। दिल में जोश भी है, कुछ करने का जूनून भी और दुनिया को बदलने का हौसला भी, पर कई बार दिल दुःख सा जाता है, लोगों को सड़क की पटरी पर सोता हुआ देख कर।
एक रिक्शे वाले को लालकिले के सामने अपने रिक्शे पर सोता हुआ देख कर लगा कि इससे ज्यादा सुखी तो दुनिया में कोई नहीं।
कमाने कि फिक्र छोड़ कर आराम की नींद ले रहा है बेचारा। हम पागलों की तरह भाग रहे हैं, दिन भर कमाने के पीछे लगे रहते हैं, रात में नींद ही नहीं आती। एसी है, कूलर है , बड़ा सा पलंग है फिर भी नींद नहीं। एक बेचारा रिक्शा वाला सीट पर पैर और बैठनेवाली जगह पर सर रखकर तौलिया ओढ़कर आराम से सो रहा है। इतने बड़े शहर में वही सबसे सुखी है। पर पटरी पर सो रहे लोगों पर क़यामत बरपाने की ख़बर बहुत आहत करती है, उससे भी अधिक दुःख तब होता है जब ख़बर आती है की आरामगाह, रैनबसेरे जुआरियों का अड्डा बन गए हैं।
हम कुछ कर सकते हैं उनके लिए और हमें करना चाहिए। करेंगे हम करेंगे भी
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3 comments:
bahut badhiya
good amit... nek khyal hai... aise hi sochte rahna...meri shubhkamnayein
great aap to bade likhadi nikle
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